🧠कक्षा 7 विज्ञान: जंतुओं में पोषण (Nutrition in Animals)
🌿 परिचय (Introduction):
सभी जीवों को जीवित रहने के लिए भोजन (Food) की आवश्यकता होती है।
भोजन से हमें ऊर्जा, वृद्धि (Growth), शरीर की मरम्मत और जीवन क्रियाएँ (Life Processes) के लिए पोषक तत्व (Nutrients) मिलते हैं।
पोषण (Nutrition) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव भोजन प्राप्त करते हैं और उसे उपयोगी रूप में बदलते हैं।
🍽️ पशुओं में पोषण के प्रकार (Types of Nutrition in Animals):
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स्वपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition):
जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं (जैसे पौधे)। -
परपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition):
जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते; वे दूसरों पर निर्भर होते हैं।
जैसे — मनुष्य, जानवर।
1. पोषण क्या है?
पोषण वह प्रक्रिया है जिसमें जीव भोजन ग्रहण कर उसे अपने शरीर के कार्यों (ऊर्जा, वृद्धि, मरम्मत) के लिए उपयोग करता है। पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं (स्वपोषी), जबकि जानवर और मनुष्य अन्य सजीवों से भोजन प्राप्त करते हैं (परपोषी)।
2. जानवरों में पोषण की प्रक्रिया
पोषण की प्रक्रिया को मुख्यतः पाँच चरणों में बाँटा जाता है:
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भोजन का ग्रहण (Ingestion): भोजन को मुँह से लेना।
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पाचन (Digestion): भोजन को सरल, घुलनशील अणुओं में तोड़ना।
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अवशोषण (Absorption): पचा भोजन आँतों की दीवारों से रक्त में जाना।
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समावेशन (Assimilation): अवशोषित भोजन का शरीर द्वारा उपयोग।
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अपोषित भोजन का निष्कासन (Egestion): अपचे भोजन को शरीर से बाहर निकालना।
3. मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System)
मुख्य अंग:
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मुख (Mouth): दाँत और लार की मदद से भोजन चबाना व नरम करना।
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ग्रासनली (Oesophagus): भोजन को गले से पेट तक पहुँचाना।
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आमाशय (Stomach): भोजन में जठर रस मिलना, और आंशिक पाचन होना।
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छोटी आंत (Small intestine): सबसे अधिक पाचन और अवशोषण। पित्त, अग्न्याशय रस और श्लेष्मिक द्रव्य की भूमिका।
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बड़ी आंत (Large intestine): जल और कुछ लवणों का अवशोषण।
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मलाशय और मलद्वार (Rectum and Anus): अपशिष्ट निकासी।
4. अन्य प्राणियों में पोषण
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अमीबा: भोजन कूटपादों (pseudopodia) से पकड़ता और पचाता है।
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घास खाने वाले: (जैसे गाय, भैंस) में चार-भाग वाला आमाशय होता है। पहले इसे निगल लेते हैं, बाद में फिर से मुँह में लाकर (जुगाली) चबाते हैं।
5. जानवरों के भोजन ग्रहण करने के तरीके
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मधुमक्खी/हम्मिंगबर्ड: फूलों का रस चूसते हैं।
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साँप: शिकार को पूरा निगल जाते हैं।
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मनुष्य-शिशु: माँ का दूध चूसते हैं।
6. पोषक तत्व क्यों आवश्यक हैं?
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ऊर्जा, विकास, ऊतकों की मरम्मत, तथा बीमारी से लड़ने के लिए आवश्यक।
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मुख्य पोषक तत्त्व: कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज, जल।
त्वरित पुनरावृति
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पोषण के पाँच चरण याद रखें: ग्रहण, पाचन, अवशोषण, समावेशन, निष्कासन।
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अमीबा की विशेषता: कूटपाद से भोजन पकड़ना।
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गाय-भैंस में: रूमेन-आमाशय से जुगाली और चार भाग।
स्व-अभ्यास के लिए:
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मानव पाचन तंत्र चित्र खुद बनाइए और भागों के नाम लिखें।
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विभिन्न जानवरों के खाने के तरीके की सूची बनाइए।
🧠 अध्याय 2 – पशुओं में पोषण (Nutrition in Animals)
🦷 मनुष्य में पोषण की प्रक्रिया (Steps of Nutrition in Humans):
मनुष्य में भोजन का पाचन पाचन तंत्र (Digestive System) द्वारा होता है।
यह प्रक्रिया 5 मुख्य चरणों में होती है 👇
1️⃣ भोजन ग्रहण (Ingestion):
भोजन को मुख (Mouth) से लेना।
मुख में दाँत (Teeth) भोजन को चबाते हैं और लार (Saliva) उसे मुलायम करती है।
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लार ग्रंथियाँ (Salivary glands) – लार बनाती हैं जिसमें एंजाइम एमाइलेज (Amylase) होता है।
यह स्टार्च को शर्करा (Sugar) में तोड़ता है।
2️⃣ पाचन (Digestion):
भोजन को सरल घुलनशील पदार्थों में बदलना।
मुख → ग्रसनी (Pharynx) → अन्ननली (Oesophagus) → आमाशय (Stomach) → छोटी आंत (Small intestine)
➤ आमाशय (Stomach):
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भोजन यहाँ HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल), Pepsin enzyme की सहायता से पचता है।
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अम्ल जीवाणुओं को नष्ट करता है।
➤ छोटी आंत (Small Intestine):
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यह सबसे लंबा अंग है।
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यकृत (Liver) से पित्त रस (Bile juice) और
अग्न्याशय (Pancreas) से अग्न्याशयी रस (Pancreatic juice) आता है। -
यहाँ पूर्ण पाचन (Complete digestion) होता है।
3️⃣ अवशोषण (Absorption):
छोटी आंत की भीतरी दीवार (Villi) पोषक तत्वों को रक्त में अवशोषित करती है।
4️⃣ आवेशन (Assimilation):
रक्त द्वारा पोषक तत्वों को शरीर के अंगों तक पहुँचाया जाता है, जहाँ वे ऊर्जा देते हैं या ऊतकों की मरम्मत करते हैं।
5️⃣ उत्सर्जन (Egestion):
पचे हुए भोजन का अपशिष्ट भाग बड़ी आंत (Large Intestine) से मलद्वार (Anus) के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
🐄 विभिन्न जानवरों में पाचन (Digestion in Different Animals):
🐄 (1) रूमिनेंट्स (Ruminants – जुगाली करने वाले जानवर):
जैसे – गाय, भैंस, बकरी।
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ये घास खाते हैं, जिसे ये जल्दी-जल्दी निगल लेते हैं।
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भोजन रूमेन (Rumen) नामक पेट के भाग में पहुँचता है।
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रूमेन में सूक्ष्मजीव (Microbes) सेलूलोज़ को पचाते हैं।
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फिर ये आधा पचा भोजन जुगाली (Rumination) के रूप में मुँह में वापस लाकर दोबारा चबाते हैं।
इस प्रक्रिया को जुगाली (Chewing the cud) कहा जाता है।
🪱 (2) अमीबा (Amoeba) में पोषण:
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अमीबा एक एककोशिकीय जीव है।
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यह अपने शरीर से झूठे पाँव (Pseudopodia) निकालकर भोजन को पकड़ता है।
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भोजन को भोजन कणिका (Food vacuole) में पचाया जाता है।
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पाचन के बाद पोषक तत्व अवशोषित होते हैं और अपशिष्ट बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रक्रिया के चरण:
👉 भोजन ग्रहण → पाचन → अवशोषण → आवेशन → उत्सर्जन
⚙️ मानव पाचन तंत्र के अंग (Human Digestive System Organs):
| अंग | कार्य |
|---|---|
| मुख (Mouth) | भोजन ग्रहण व चबाना |
| लार ग्रंथि | स्टार्च को शर्करा में बदलना |
| अन्ननली (Oesophagus) | भोजन को पेट तक पहुँचाना |
| आमाशय (Stomach) | प्रोटीन का आंशिक पाचन |
| यकृत (Liver) | पित्त रस का निर्माण |
| अग्न्याशय (Pancreas) | एंजाइम प्रदान करना |
| छोटी आंत | पूर्ण पाचन व अवशोषण |
| बड़ी आंत | जल का अवशोषण |
| मलद्वार | अपशिष्ट निष्कासन |
📘 सारांश (Summary):
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मनुष्य और अन्य जानवर परपोषी हैं।
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पाचन एक यांत्रिक और रासायनिक प्रक्रिया है।
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पाचन तंत्र के सभी अंग मिलकर भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
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रूमिनेंट्स में चार भाग वाला पेट होता है।
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अमीबा में पोषण झूठे पाँव द्वारा होता है।
🧩 महत्वपूर्ण प्रश्न (MCQs) – 20 Questions
1️⃣ मनुष्य में पाचन की शुरुआत कहाँ से होती है?
a) आमाशय b) मुँह c) छोटी आंत d) यकृत
उत्तर: b) मुँह
2️⃣ लार में कौन-सा एंजाइम पाया जाता है?
a) पेप्सिन b) ट्रिप्सिन c) एमाइलेज d) पित्त
उत्तर: c) एमाइलेज
3️⃣ पित्त रस किस अंग से बनता है?
a) अग्न्याशय b) यकृत c) बड़ी आंत d) छोटी आंत
उत्तर: b) यकृत
4️⃣ अग्न्याशयी रस कहाँ पहुँचता है?
a) पेट b) बड़ी आंत c) छोटी आंत d) मुख
उत्तर: c) छोटी आंत
5️⃣ अमाशय में कौन-सा अम्ल पाया जाता है?
a) नाइट्रिक b) सल्फ्यूरिक c) हाइड्रोक्लोरिक d) एसेटिक
उत्तर: c) हाइड्रोक्लोरिक
6️⃣ जुगाली करने वाले जानवरों में कौन-सा पेट का भाग सबसे बड़ा होता है?
a) रूमेन b) रेटिकुलम c) ओमासम d) अबोमासम
उत्तर: a) रूमेन
7️⃣ अमीबा भोजन कैसे ग्रहण करता है?
a) मुँह से b) झूठे पाँव से c) श्वसन छिद्र से d) एंजाइम से
उत्तर: b) झूठे पाँव से
8️⃣ पित्त रस का कार्य क्या है?
a) प्रोटीन पचना b) वसा का इमल्सीकरण c) कार्बोहाइड्रेट पचना d) जल अवशोषण
उत्तर: b) वसा का इमल्सीकरण
9️⃣ भोजन का अवशोषण कहाँ होता है?
a) बड़ी आंत b) छोटी आंत c) आमाशय d) मुख
उत्तर: b) छोटी आंत
10️⃣ भोजन के अपशिष्ट का निष्कासन कहाँ से होता है?
a) मलद्वार b) मुँह c) आमाशय d) यकृत
उत्तर: a) मलद्वार
11️⃣ मनुष्य का पाचन तंत्र किस प्रकार का है?
उत्तर: जटिल (Complex)
12️⃣ विली (Villi) का कार्य क्या है?
उत्तर: पोषक तत्वों का अवशोषण करना
13️⃣ कौन-सा अंग पित्त रस को संग्रह करता है?
उत्तर: पित्ताशय (Gall Bladder)
14️⃣ गाय जैसे जानवर किस प्रकार के पोषण वाले हैं?
उत्तर: परपोषी (Heterotrophs)
15️⃣ अमाशय में कौन-सा एंजाइम प्रोटीन पचाता है?
उत्तर: पेप्सिन (Pepsin)
16️⃣ पाचन तंत्र का अंतिम भाग कौन-सा है?
उत्तर: मलद्वार (Anus)
17️⃣ अग्न्याशय कौन-से रस का निर्माण करता है?
उत्तर: अग्न्याशयी रस (Pancreatic Juice)
18️⃣ पित्त रस में एंजाइम होते हैं या नहीं?
उत्तर: नहीं, इसमें कोई एंजाइम नहीं होता।
19️⃣ अमीबा किस प्रकार का जीव है?
उत्तर: एककोशिकीय (Unicellular)
20️⃣ पाचन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: जटिल भोजन को सरल रूप में बदलना ताकि शरीर उसे उपयोग कर सके।
🧾 निष्कर्ष (Conclusion):
👉 पाचन जीवन की एक आवश्यक प्रक्रिया है।
👉 यह शरीर को ऊर्जा, पोषण और वृद्धि प्रदान करता है।
👉 विभिन्न जीवों में पाचन की विधियाँ अलग-अलग होती हैं।
पशु परपोषी होते हैं। वे हरे पौधों या पौधों पर पलने वाले जंतुओं से भोजन प्राप्त करते हैं।
शाकाहारी जंतु: वे केवल पौधों या पौधों के भागों पर ही भोजन करते हैं। उदाहरण: गाय, भैंस, बकरी, हिरण, खरगोश, घोड़ा और हाथी।
मांसाहारी जंतु: वे अन्य जंतुओं का मांस खाते हैं। उदाहरण: शेर, बाघ और तेंदुआ।
सर्वाहारी जंतु: वे पौधों और जंतुओं दोनों पर भोजन करते हैं। उदाहरण: सुअर, मनुष्य, तिलचट्टा।
पशुओं में पोषण के प्रकार
शाकाहारी, मांसाहारी या सर्वाहारी जंतुओं में पोषण के प्रकार को समजीव पोषण कहा जाता है। हालाँकि, कुछ जंतु परजीवी, मृतजीवी या अपमार्जक होते हैं।
i) परजीवी जंतु परपोषी से भोजन और आश्रय प्राप्त करते हैं। वे अंतःपरजीवी या बाह्यपरजीवी हो सकते हैं।
अंतःपरजीवी परपोषी शरीर के अंदर रहते हैं और परपोषी के शरीर के द्रव, रक्त या ऊतक से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं। उदाहरण: मलेरिया परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में रहते हैं, चपटे कृमि और गोल कृमि यकृत या आंत में रहते हैं।
किलनी, घुन, जूँ और खटमल जैसे बाह्य परजीवी अपने पोषकों के शरीर की सतह पर चिपके रहते हैं और उनका रक्त चूसते हैं।
ii) मृतजीवी जीव मृत और सड़ते हुए कार्बनिक पदार्थों को खाते हैं। केंचुए मृतजीवी होते हैं।
iii) अपमार्जक जीव सड़ते हुए जीवों को खाते हैं। गिद्ध, कौआ और सियार अपमार्जक होते हैं।
होलोजोइक पोषण प्रक्रिया
होलोजोइक पोषण में, जीव ठोस भोजन ग्रहण करते हैं। उनके भोजन में अघुलनशील जटिल पोषक तत्व होते हैं। शरीर इन पोषक तत्वों का उपयोग तभी कर सकता है जब ये पचकर सरल घुलनशील अणुओं में टूट जाएँ। घुलनशील अणु फिर आंत की दीवार द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं।
होलोजोइक पोषण प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं: अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, आत्मसातीकरण और उत्सर्जन।
यह मुख के माध्यम से बाहर से भोजन को शरीर में ग्रहण करने की प्रक्रिया है। विभिन्न जीवों के भोजन ग्रहण करने के तरीके अलग-अलग होते हैं और उनकी भोजन संबंधी आदतें भी भिन्न होती हैं। भोजन ग्रहण करने वाला अंग, अर्थात् मुख, निम्नतम प्राणियों (प्रोटोज़ोआ) से लेकर उच्चतर प्राणियों (स्तनधारी) तक भिन्न होता है। प्राणियों के मुख भाग को इस प्रकार रूपांतरित किया जाता है कि वे अपने शिकार को पकड़ सकें या भोजन प्राप्त कर सकें। उदाहरण के लिए:
एककोशिकीय अमीबा भोजन के सूक्ष्म कणों को झूठे पैरों या स्यूडोपोडिया से घेरकर उन्हें निगल लेता है। ये स्यूडोपोडिया फिर आपस में मिलकर एक छोटी गुहा, एक खाद्य रिक्तिका, बनाते हैं।
• केंचुआ अपना भोजन निगलने के लिए अपनी पेशीय ग्रसनी का उपयोग करता है।
• मनुष्य अपने हाथों से भोजन मुँह में डालता है।
पाचन
हम जो भोजन ग्रहण करते हैं वह सामान्यतः ठोस और जटिल होता है। शरीर की कोशिकाएँ अपने ठोस भोजन का उपयोग नहीं कर सकतीं। परजीवियों को छोड़कर सभी जीवों को ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अपने भोजन को पचाना पड़ता है। इस प्रकार, जटिल खाद्य अणुओं को सरल रूपों में तोड़ने की प्रक्रिया को पाचन कहते हैं। अधिकांश जानवर भोजन को पचाने के लिए भौतिक और रासायनिक दोनों विधियों का उपयोग करते हैं। एंजाइम जैव उत्प्रेरक होते हैं, जो पाचन तंत्र में पाई जाने वाली ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं।
एंजाइम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा आदि जैसे जटिल अणुओं को सरल अणुओं में तोड़ने में मदद करते हैं।
अमीबा, पैरामीशियम जैसे निचले स्तर के जानवरों में पाचन आमतौर पर अंतःकोशिकीय (कोशिका के भीतर) होता है क्योंकि भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका के अंदर होता है और पाचक एंजाइम कोशिका द्वारा ही स्रावित होते हैं।
मेंढक, मनुष्य आदि जैसे उच्चतर प्राणियों में भोजन आहार नाल से होकर गुजरता है और पाचन उसकी लुमेन में होता है। सुविकसित अंगों और अंग प्रणालियों वाले प्राणियों में, पाचन बाह्यकोशिकीय (कोशिका के बाहर) होता है। आहार नाल से गुजरते समय भोजन में विभिन्न पाचक एंजाइम मिल जाते हैं। उदाहरण के लिए, मुँह में लार और आमाशय में जठर रस।
हाइड्रा एक बहुकोशिकीय जीव है, जहाँ पाचन बाह्यकोशिकीय (कोशिका के बाहर) के साथ-साथ अंतःकोशिकीय (आंतरिक परत की कोशिकाओं में) भी होता है।
पचा हुआ भोजन शरीर के तरल पदार्थ, अर्थात् पशु के रक्त, में मिलकर अवशोषित हो जाता है। अमीबा जैसे एककोशिकीय जीवों में, अवशोषण कोशिकाद्रव्य में होता है। हाइड्रा में, भोजन का अवशोषण शरीर गुहा की कोशिकाओं में पचे हुए भोजन के विसरण द्वारा होता है। उच्च जीवों (मनुष्य) में, भोजन का अवशोषण छोटी आंत में होता है।
स्वागतीकरण
अवशोषित भोजन के जीवित जीवद्रव्य में रूपांतरण की प्रक्रिया को स्वागतीकरण कहते हैं। शरीर द्वारा अवशोषित भोजन का उपयोग श्वसन द्वारा ग्लूकोज से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है, जिससे वृद्धि, विकास आदि जैसी विभिन्न जीवन प्रक्रियाएँ संपन्न होती हैं। प्रोटीन हमारे शरीर के निर्माण खंड हैं और नए ऊतकों के निर्माण के साथ-साथ खराब हो चुके ऊतकों की मरम्मत में भी मदद करते हैं।
अमीबा और पैरामीशियम में, भोजन का स्वागतीकरण शरीर गुहा के अंदर जीवद्रव्य की प्रवाही गति के माध्यम से होता है। हाइड्रा में, भोजन कोशिकाओं के अंदर आत्मसात होता है।
उत्सर्जन
शरीर से अपचित ठोस भोजन के अंशों को मुखों के रूप में बाहर निकालने की प्रक्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।
अमीबा में, जब शरीर गुहा में पर्याप्त मात्रा में अपचित भोजन जमा हो जाता है, तो उसकी कोशिका झिल्ली किसी भी स्थान पर फटकर अपचित भोजन को बाहर निकाल सकती है।
हाइड्रा में, अपशिष्ट पदार्थों को एक ही शरीर गुहा के माध्यम से बाहर निकाला जाता है जो मुख और गुदा दोनों का कार्य करती है।
मनुष्यों में पाचन
मनुष्यों का पाचन तंत्र सुविकसित होता है। इसमें आंत या आहार नाल और उससे जुड़ी पाचन ग्रंथियाँ शामिल होती हैं।
पाचन नाल के भाग और सहायक ग्रंथियाँ
हम जो भोजन ग्रहण करते हैं, वह तभी ऊर्जा प्रदान कर सकता है जब वह पच जाए, अवशोषित हो जाए और शरीर के सभी भागों में वितरित होने के लिए आत्मसात हो जाए।
पाचन के दौरान, भोजन के बड़े अघुलनशील टुकड़े घुलनशील पदार्थों में टूट जाते हैं जो इतने छोटे होते हैं कि आंत की दीवारों के माध्यम से अवशोषित होकर रक्तप्रवाह में पहुँच जाते हैं। इस प्रक्रिया में कुछ भौतिक और रासायनिक प्रतिक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो इस प्रकार हैं:
• ठोस भोजन को छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए दांतों से भोजन को चबाना।
• आमाशय द्वारा भोजन को जठर रसों में मिलाने के लिए मथना।
रासायनिक क्रिया
• कार्बोहाइड्रेट से सरल शर्करा।
• वसा से वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल।
• प्रोटीन से अमीनो अम्ल।
एंजाइम पाचन तंत्र के विभिन्न भागों में कोशिकाओं द्वारा निर्मित पाचक रस होते हैं। तालिका 1. स्रोत, उनके क्रियाधार, प्रभाव और परिणामी उत्पादों का विवरण सूचीबद्ध करती है।
आहार नाल अलग-अलग व्यास की एक लंबी नली होती है जो मुँह से शुरू होकर गुदा पर समाप्त होती है। इसमें मुँह, ग्रसनी, ग्रासनली, आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय और गुदा शामिल हैं।
मुख: हम भोजन मुँह के माध्यम से ग्रहण करते हैं। मुख में जीभ, दाँत और लार ग्रंथियाँ होती हैं। ये भोजन को चबाने (चबाने) में एक साथ काम करती हैं। चबाया हुआ भोजन लार के साथ मिल जाता है, जो लार ग्रंथियों द्वारा स्रावित एक जलीय द्रव है। इस प्रक्रिया को चबाना कहते हैं। लार में एमाइलेज नामक एंजाइम होता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदल देता है, इसलिए हमें इसका स्वाद मीठा लगता है।
क) कृंतक: ये आगे के आठ दांत होते हैं, चार ऊपरी जबड़े पर और चार निचले जबड़े पर। ये चपटे, छेनी के आकार के दांत होते हैं, जो भोजन को काटने और कुतरने के लिए उपयुक्त होते हैं।
ख) रदनक: प्रत्येक जबड़े के दोनों ओर एक-एक कृंतक होता है। ये गोल, तीखे और नुकीले दांत भोजन को पकड़ने और फाड़ने के लिए उपयुक्त होते हैं।
ग) अग्रचर्वणक: प्रत्येक जबड़े के दोनों ओर दो अग्रचर्वणक होते हैं। इनकी सतह चपटी होती है जिस पर छोटे-छोटे खांचे और धारियाँ होती हैं, और ये भोजन को कुचलने और पीसने के लिए उपयुक्त होते हैं।
घ) चर्वणक: ये दोनों जबड़ों में दोनों ओर के अंतिम तीन दांत होते हैं। भोजन को प्रभावी ढंग से पीसने के लिए इनकी सतह लगभग चपटी होती है और इनमें छोटे उभार होते हैं।
हमारे दांतों को ढकने वाला सफेद पदार्थ इनेमल कहलाता है। यह शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। हम सभी के जीवनकाल में दो सेट दाँत आते हैं। पहला सेट शिशु अवस्था में निकलता है और लगभग 8 वर्ष की आयु तक रहता है। इन्हें दूध के दाँत या अस्थायी दाँत कहा जाता है। एक बच्चे के ऐसे केवल 20 दाँत होते हैं - प्रत्येक जबड़े में 10। ये दाँत एक-एक करके गिर जाते हैं और उनकी जगह स्थायी दाँत आ जाते हैं। एक वयस्क मानव के कुल 32 दाँत होते हैं - प्रत्येक जबड़े में 16।
दाँत की संरचना: प्रत्येक दाँत अपनी जड़ द्वारा जबड़े की हड्डी में दबा रहता है और मुकुट मसूड़े के बाहर रहता है। कृन्तक और रदनक दाँतों की एक ही जड़ होती है, जबकि अग्रचर्वणक और दाढ़ों की दो-दो जड़ें होती हैं। मुकुट डेंटाइन से बना होता है और इसके बाहर इनेमल की एक परत होती है।
इनेमल हमारे शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है, हड्डियों से भी ज़्यादा कठोर। यह रासायनिक रूप से सबसे स्थिर पदार्थ भी है।
जीभ: जीभ एक पेशीय अंग है और भोजन में लार मिलाने में मदद करती है। यह भोजन को हमारे दांतों की ओर धकेलती है। जीभ भोजन को एक गोल आकार में घुमाती है जिसे निगलना आसान होता है। यह लयबद्ध पेशीय संकुचनों की एक श्रृंखला के माध्यम से, जिसे 'पेरिस्टलसिस' कहा जाता है, भोजन नली या ग्रासनली में नीचे की ओर धकेला जाता है।
ग्रासनली: यह मुँह और पेट को जोड़ने वाली नली है, और लगभग 30 सेमी लंबी होती है। निगलने के बाद ठोस भोजन को पेट तक पहुँचने में लगभग छह सेकंड लगते हैं। तरल पदार्थ ग्रासनली से तेज़ी से नीचे की ओर जाते हैं।
ग्रासनली की शक्तिशाली मांसपेशियाँ भोजन को एक लहर जैसी क्रिया में धीरे से पेट की ओर धकेलती हैं, जिसे क्रमाकुंचन कहा जाता है, जैसा कि पहले बताया गया है।
पेट: यह J-आकार का पेशीय थैला होता है। इसमें एक बार में दो लीटर तक भोजन समा सकता है। भोजन के प्रकार के आधार पर भोजन कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक पेट में रहता है। आमाशय की दीवार की हल्की हलचल भोजन को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और आमाशय रस जैसे पाचक रसों के साथ मथकर उसे अर्ध-तरल अवस्था में बदल देती है, जिसे काइम कहते हैं। आमाशय रस में मौजूद एंजाइम प्रोटीन को तोड़ते हैं। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल हानिकारक जीवाणुओं को मारता है और एंजाइमों को काम करने में भी मदद करता है। आमाशय में, दूध दही में बदल जाता है। इस प्रकार, भोजन आंशिक रूप से आमाशय में पच जाता है।
कभी-कभी, हमें उल्टी होती है। यह आमाशय की दीवार और ग्रासनली की प्रति-पेरिस्टाल्टिक हलचलों के अलावा और कुछ नहीं है।
A. वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव भोजन ग्रहण करते हैं और उसका उपयोग वृद्धि एवं विकास के लिए ऊर्जा प्राप्त करने हेतु करते हैं, पोषण कहलाती है।
प्रश्न 2. हम जानवरों को विषमपोषी क्यों कहते हैं?
A. जानवरों को विषमपोषी इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते और अपना पोषण किसी अन्य जीव से प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 3. पशु पोषण प्रक्रिया के 5 चरणों का उल्लेख कीजिए।
A. 1. अंतर्ग्रहण 2. पाचन 3. अवशोषण 4. आत्मसातीकरण 5. उत्सर्जन
प्रश्न 4. मनुष्य में आहार नाल से जुड़ी तीन ग्रंथियों के नाम बताइए। उनके स्रावों का उल्लेख कीजिए।
A. 1. लार ग्रंथियाँ - पाचक रस स्रावित करती हैं जो स्टार्च को पचाता है।
B. यकृत - पित्त रस स्रावित करता है।
C. अग्न्याशय - पाचक रस स्रावित करता है जो कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को पचाता है।
प्रश्न 5. अंतर्ग्रहण क्या है?
A. भोजन को अंदर लेने की प्रक्रिया को अंतर्ग्रहण कहते हैं।
Q6. हमारे मुँह में विभिन्न प्रकार के दाँतों के नाम लिखिए और उनके कार्य लिखिए।
A. 1. कृन्तक - काटना और काटना
2. रदनक - फाड़ना
3. अग्रचर्वणक - कुचलना और पीसना
4. चर्वणक - बारीक पीसना
Q7. भोजन निगलते समय बात न करने की सलाह क्यों नहीं दी जाती?
A. जब हम भोजन करते समय बात करते हैं तो हमारी श्वास नली खुली होती है और भोजन उसमें प्रवेश कर सकता है जिससे घुटन और हिचकी आ सकती है।
Q8. आमाशय में स्राव क्या हैं और पोषण प्रक्रिया में उनकी क्या भूमिका है?
A. यह स्रावित करता है- 1. HCl - अम्लीय माध्यम प्रदान करता है और सूक्ष्मजीवों को मारता है।
2. श्लेष्मा - आमाशय की परत को अम्ल की क्रिया से बचाता है और भोजन को चिकना बनाता है।
3. पाचक रस - प्रोटीन को पचाता है।
Q9. छोटी आंत में भोजन का क्या होता है?
उत्तर: 1. छोटी आंत अग्न्याशय, यकृत और अपनी दीवार से पाचक रस प्राप्त करती है।
2. यकृत से पित्त वसा का पायसीकरण करता है।
3. अग्नाशय और आंत्र रस कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन का विघटन करते हैं।
4. पोषक तत्व अवशोषित होते हैं।
प्रश्न 10. पचा हुआ भोजन कैसे अवशोषित होता है?
उत्तर: भोजन का अवशोषण छोटी आंत के आंतरिक भाग की परत में छोटे उभारों के माध्यम से होता है। इन उभारों को विली कहते हैं।
उत्तर: यह आहार नाल में छोटी आंत का विस्तृत व्यास वाला विस्तार है। यह उत्सर्जित अपशिष्ट से जल के पुनः अवशोषण में सहायता करती है।
प्रश्न 12. जुगाली करने वाले पशुओं में पाचन की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: मवेशी अपना भोजन जल्दी निगल लेते हैं और उसे आमाशय के एक भाग, जिसे रुमेन कहते हैं, में संग्रहित कर लेते हैं। वहाँ भोजन आंशिक रूप से पच जाता है, जिसे कड कहते हैं। यह कड आगे चबाने के लिए मुँह में वापस आ जाता है और इस प्रक्रिया को जुगाली कहते हैं। इनका भोजन सेल्यूलोज़ से भरपूर होता है, जिसका पाचन सीकम में होता है।
प्रश्न 13. कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के पाचन के उत्पाद क्या हैं?
उत्तर: कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के पाचन के उत्पाद क्रमशः ग्लूकोज, फैटी एसिड, ग्लिसरॉल और अमीनो एसिड हैं।
प्रश्न 14. यद्यपि बड़ी आंत पाचन प्रक्रिया में शामिल नहीं होती है, फिर भी इसका एक महत्वपूर्ण कार्य है। औचित्य सिद्ध कीजिए।
उत्तर: यह जल के अवशोषण में सहायता करती है।
प्रश्न 15. अमीबा के पोषण पर एक टिप्पणी लिखिए।
A. अमीबा स्यूडोपोडिया द्वारा भोजन ग्रहण करता है और भोजन को रिक्तिका में फँसा लेता है। भोजन इसके अंदर मौजूद पाचक रसों की मदद से पचता है। अपचित भोजन केवल रिक्तिका द्वारा ही बाहर निकाला जाता है।
प्रश्न 16. उत्सर्जन क्या है?
A. यह अपचित भोजन को बाहर निकालने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 17. मानव पाचन तंत्र में पित्ताशय की क्या भूमिका है?
A. पित्ताशय यकृत के स्राव को अस्थायी रूप से संग्रहीत करता है।
प्रश्न 18. मवेशियों को जुगाली करने वाले जानवर क्यों कहा जाता है?
A. उन्हें ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि आंशिक रूप से पचा हुआ भोजन आगे चबाने के लिए मुंह में वापस आ जाता है।
प्रश्न 19: चबाना क्या है?
उत्तर: चबाना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें भोजन को चबाया जाता है और उसमें लार मिलाई जाती है।
प्रश्न 20: हमारे मुंह में जीभ की क्या भूमिका है? उत्तर: हमारे मुँह में जीभ की निम्नलिखित भूमिकाएँ होती हैं:
=> यह बात करने में मदद करती है।
=> यह चबाने के दौरान लार को भोजन में मिलाने में मदद करती है।
=> यह भोजन को निगलने में मदद करती है।
=> यह हमें भोजन के स्वाद का एहसास कराती है।
उत्तर: ग्रासनली की शक्तिशाली मांसपेशियाँ भोजन को लहर जैसी क्रिया में धीरे-धीरे आमाशय की ओर धकेलती हैं, जिसे क्रमाकुंचन कहते हैं।
प्रश्न 22: आमाशय के अंदर क्या स्रावित होता है?
उत्तर: आमाशय की दीवारों द्वारा जठर रस स्रावित होता है जिसमें HCl और पेप्सिन होते हैं।
प्रश्न 23: आमाशय में HCl के क्या कार्य हैं?
उत्तर: HCl के कार्य:
=> यह भोजन में मौजूद कीटाणुओं को मारने में मदद करता है।
=> भोजन के साथ मिलकर यह एक अम्लीय माध्यम बनाता है जो पाचक रस को सक्रिय करने के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 24: यकृत से क्या स्रावित होता है?
उत्तर: पित्त रस यकृत से स्रावित होता है।
प्रश्न 25: पाचन क्या है?
उत्तर: पाचन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें भोजन को चबाकर छोटे-छोटे कणों में तोड़ना और फिर उसके जटिल घटकों को एंजाइमों की मदद से एक तरल माध्यम में सरल पदार्थों में तोड़ना शामिल है जिन्हें हमारा शरीर अवशोषित कर सकता है।
प्रश्न 26: इन पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ (1 या 2 वाक्य) लिखें -
(a) अग्न्याशय (b) यकृत (c) ग्रासनली (d) जुगाली (e) स्यूडोपोडिया
उत्तर:
(a) अग्न्याशय: अग्न्याशय एक बड़ी क्रीम रंग की ग्रंथि है जो आमाशय के ठीक नीचे स्थित होती है। अग्नाशयी रस कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन पर क्रिया करके उन्हें सरल रूपों में बदल देता है।
(b) यकृत: यकृत एक लाल-भूरे रंग की ग्रंथि है जो हमारे उदर के ऊपरी भाग में दाईं ओर स्थित होती है। यह हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है। यह पित्त रस का स्राव करती है जो पित्ताशय नामक थैली जैसी संरचना में संग्रहित होता है।
(c) ग्रासनली: यह एक लंबी, संकरी, पेशीय नली होती है जो सीधे आमाशय की ओर जाती है। यह लगभग 25 सेमी लंबा होता है और गर्दन, वक्ष और उदर गुहा से होकर नीचे की ओर जाता है।
(घ) जुगाली: एक प्रक्रिया जिसमें आंशिक रूप से पचा हुआ भोजन छोटी-छोटी गांठों के रूप में मुँह में वापस आता है और पशु उसे चबाता है। इस प्रकार की प्रक्रिया को पुनर्नियोजन या जुगाली कहते हैं और ऐसे जंतुओं को जुगाली करने वाले जंतु कहते हैं।
(ङ) स्यूडोपोडिया: अमीबा जैसे एककोशिकीय जीव लगातार अपना आकार और स्थिति बदलते रहते हैं। यह भोजन को उंगली के आकार के उभार को बाहर निकालकर पकड़ता है जिसे स्यूडोपोडिया कहते हैं।
प्रश्न 27: पाचक एंजाइम क्या हैं?
उत्तर: विभिन्न प्रकार के एंजाइम होते हैं जिनका उपयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे - कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि को उनके उपयोगी रूप में पचाने के लिए किया जाता है।