स्वर की परिभाषा: CLASS 1

 

स्वर (Vowels) वह ध्वनियाँ होती हैं, जिन्हें उच्चारण करते समय हमारे मुँह से कोई रुकावट नहीं आती है। इन ध्वनियों के उच्चारण में हवा बिना किसी रुकावट के निकलती है। सरल शब्दों में, स्वर वह अक्षर होते हैं जो बोलते समय कोई अवरोध पैदा नहीं करते।

स्वर (Vowels) का पूरा विवरण:

1. स्वर की परिभाषा:

ANS=  उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं।

 Short ANS = स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं।

स्वर वे ध्वनियाँ हैं जो बिना किसी रुकावट के उच्चारित की जाती हैं। जब हम स्वर बोलते हैं, तो हमारी आवाज़ की लहरें बिना किसी रुकावट के मुँह से बाहर निकलती हैं। यह हमेशा स्थिर रहती हैं और इनमें कोई अवरोध नहीं होता।

2. स्वर के प्रकार:

कक्षा 1 के स्तर पर, कुल 13 स्वर होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

परंतु भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 11 स्वर हैं  

यदि ऍ,ऑ नाम की विदेशी ध्वनियों को शामिल करें तो हिन्दी में 11+2=13 स्वर होते हैं, फिर भी ऋ, अं, अः को हटा दे तो 10 स्वर हिन्दी में मूलभूत हैं। यदि हम ऋ, अं, अः को हटा दे तो स्वरों कि संख्या 10 होगी  

  1. (A)

  2. (Aa)

  3. (I)

  4. (Ee)

  5. (U)

  6. (Oo)

  7. (Ri)

  8. (Rri) (कभी-कभी इसका उपयोग होता है, लेकिन सामान्यत: कक्षा 1 में नहीं सिखाया जाता)

  9. (E)

  10. (Ai)

  11. (O)

  12. (Au)

  13. अं (An) – यह नासिक ध्वनि होती है, जो शब्दों में जैसे अंश, संवाद में पाई जाती है।

  14. अः (Ah) – यह भी एक नासिक ध्वनि होती है, जो संस्कृत के शब्दों में पाई जाती है जैसे रामः

3. स्वर और व्यंजन में अंतर:

  • स्वर: जब हम स्वर बोलते हैं तो हमारी आवाज़ बिना किसी रुकावट के निकलती है। स्वर से कोई रुकावट नहीं होती।

  • व्यंजन: व्यंजन के उच्चारण में हमारे मुँह या गले में रुकावट आती है, जैसे , , , आदि।

4. स्वर के उच्चारण का तरीका:

  • : मुंह को थोड़ा खोलकर बोलें, जैसे "अलिफ"।

  • : मुंह को थोड़ा और खोलकर बोलें, जैसे "आम"।

  • : थोड़ा और संकुचित करके, जैसे "इमली"।

  • : संकुचित होकर बोलें, जैसे "ईंट"।

  • : मुंह को थोड़ा गोलाकर बोलें, जैसे "उदित"।

  • : ज्यादा गोलाकर मुंह को, जैसे "ऊँची"।

  • : गले से निकलता हुआ स्वर, जैसे "ऋषि"।

  • : "ए" का उच्चारण जैसे "एक"।

  • : थोड़ा बढ़ा हुआ "ए" का उच्चारण, जैसे "ऐसा"।

  • : मुंह को गोल करके उच्चारण करें, जैसे "ओक"।

  • : "ओ" से लंबा, गोलाकर उच्चारण करें, जैसे "औंधा"।

  • अं: यह नासिक ध्वनि होती है, जैसे "संस्कार"।

  • अः: यह भी गहरी नासिक ध्वनि होती है, जैसे "रामः"।

5. स्वर का महत्व:

  • शब्दों का निर्माण: सभी शब्दों का आधार स्वर होते हैं। बिना स्वर के कोई भी शब्द पूर्ण नहीं हो सकता।

  • उच्चारण में सरलता: स्वर का उच्चारण करना सरल होता है और इसके माध्यम से शब्दों को अच्छे से समझा जा सकता है।

  • वर्णमाला: हिंदी वर्णमाला में कुल 13 स्वर होते हैं, जिनसे विभिन्न शब्द बनते हैं।

6. कक्षा 1 के अभ्यास:

  1. स्वरों का लेखन: बच्चे स्वर को अच्छे से लिखने की प्रैक्टिस करते हैं।

  2. स्वरों से बने शब्द: बच्चों को स्वर से शुरू होने वाले शब्दों की पहचान कराई जाती है जैसे:

    • से अगला, अदरक

    • से आम, आत्मा

    • से इमली, इंसान

    • से ईंट, ईश्वर

    • से उम्र, उम्मीद

    • से ऊँचाई, ऊर्जा

  3. स्वरों की पहचान: बच्चों को विभिन्न शब्दों में स्वर की पहचान कराना, जैसे - "यह शब्द में कौन सा स्वर है?"

  4. स्वर-मात्रा: स्वरों के साथ-साथ मात्राओं का भी अभ्यास कराया जाता है (जैसे: में , में ि, में ).

7. स्वर से बने कुछ आसान शब्द:

  • अगला, अदरक

  • आम, आलू

  • इमली, इंसान

  • ईंट, ईश्वर

  • उम्र, उम्मीद

  • ऊँचाई, ऊर्जा

  • एक, इतिहास

  • ऐसा, ऐलान

  • ओक, ओम

  • औंधा, औषधि

8. स्वरों के अभ्यास के लिए खेल:

  • बच्चों को स्वर-फ्लैश कार्ड दिए जा सकते हैं, जिसमें स्वर का अक्षर और उससे संबंधित चित्र हो।

  • स्वर-संग्रह खेल, जिसमें बच्चे कुछ शब्दों में स्वर की पहचान करें।


यह स्वर का विस्तृत विवरण है, जो कक्षा 1 के छात्रों को समझाने के लिए उपयुक्त है।

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